1 फ़रवरी 2014

तुम्हे मुहतात होना चाहिए था - फ़हमी बुदाउनी

तुम्हे मुहतात होना चाहिए था
बगैर अश्कों के रोना चाहिए था

मिरी वादा-खिलाफी पर वो चुप हैं
उसे नाराज़ होना चाहिए था

हमारा हाल तुम भी पूछते हो
तुम्हे मालूम होना चाहिए था

अब उसको याद करके रो रहा हूँ
बिछड़ते वक़्त रोना चाहिए था

चला आता यकीनन ख्वाब में वो
हमें कल रात सोना चाहिए था

पड़ा था इश्क में पहला भंवर जब

वहीँ कश्ती डुबोना चाहिए था......

फ़हमी बुदाउनी

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